प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कैसे करे ( How to Preparation Competitive Exams )
जो साथी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे है। उनके मन मे अनेक सवाल है।
सवाल कुछ तरह से होते है।
मैं किसकी तैयारी करूँ?
मुझे क्या पढ़ना चाहिए। परीक्षा में सफल होने के लिए
कौनसी पुस्तकें पढ़नी चाहिए। किसकी की गाइड खरीदूँया फिर कहते है क्या कोचिंग करना जरूरी है
कितने घंटे पढ़ना चाहिए
इन सभी का उत्तर इस प्रकार हैं
1.मैं किसकी तैयारी करूँ?
इस सवाल का उत्तर ख़ुद से पूछना चाहिए। क्योंकि आप अपनी रूचि,क्षमता ,विषय की जानकारी को ख़ुद बेहतर समझते हो। कोई दूसरा इसका उत्तर नही दे पायेगा क्योंकि उनको आपको बारे में नही पता है। इसलिए आप खुद एक लक्ष्य बना लीजिए। अगल-अलग एग्जाम की तैयारी करने की बजाय एक भर्ती की तैयारी कीजिए ,आपको निश्चित तौर से सफलता मिलेगी।
Q.2.कौनसी गाइड ख़रीदनी चाहिए?या मुझे कौनसी पुस्तक पढ़नी चाहिए ?
 दोस्तो,आज के समय में बेरोज़गारी बढ़ती जा रही है।इसका फायदा गाइड व्यवसायी नें उठाया है।बाज़ारीकरण के दौर में परीक्षार्थी ठगा जा रहा है।हालाँकि कुछ गाइड ठीक है। लेकिन मात्र गाइड सफल होने लिए काफी नही है। इसलिए मेरी सलाह यहीं है कि आप सिलेबस के अनुसार मूल और प्रामाणिक पुस्तकें का अध्ययन कीजिए। अब प्रश्न यह बन गया पुस्तकों का चुनाव कैसे करें -इसका सामान्य सा उत्तर है आप विषय-विशेषज्ञों से सलाह ले या उस क्षेत्र में सफ़ल और अनुभवी परीक्षार्थी से सलाह लेकर चुनाव करें।
एक बात ध्यान रखना कि आज का जमाना कैसा है आप सब जानते हो फ़ालतू की सलाह देने वालों से बचें और स्वयं का विवेक इस्तेमाल करें।
Q.3. क्या कोचिंग करना ज़रूरी हैं ओर सेल्फ स्टडी सफ़लता में कितनी कारगर हैं?
 दोस्तो,मंजिल आपको की तय करनी पड़ेगी तो उस तक पहुँचने के लिए रास्तें भी ख़ुद ही बनाने पड़ेंगे। बस स्व-अध्ययन सबसे कारगर है। इतना सा कहना है अगर कोचिंग करनी है बस अच्छे टीचर से ही पढ़ें। जो आपको मोटीवेट करे और विषय पर पूरी पकड़ हो।
Q.4- कितने घंटे स्टडी करनी चाहिए?क्या सुबह जल्दी उठकर पढ़ने से ज़्यादा याद होता है?
मानव की स्मृति कोई डेटा फीड करने की मशीन नही है।इसलिए व्यक्ति किसी क्षमता और रूचि के अनुसार योजनाबद्ध तरीके से 6 से 8 आठ तक स्टडी कर लीजिए। लेकिन इस कार्य में नियमितता होना अति आवश्यक है।पढ़ने का कोई समय और स्थान नही होता है।आप कभी और कहीं भी पढ़ सकते हो। बस आपको स्टडी में डिस्टर्ब नही होना चाहिए। रेलयात्रा में चलते-चलते पढ़ो। या रूम में बंद होकर पढो। सुबह पढो या रात में पढ़ो लेकिन एकाग्रता के साथ अध्ययन करो।शौक से पढ़ो। जैसे खाना खाने से भूख मिटती है पानी पीने से प्यास बुझती है।इसी तरह स्टडी करने से भी अपनी जिज्ञासा को शान्त होती है।
अंतिम बात “पढ़ना एक निज़ी आदत है। अगर आप कॉम्पटीशन की तैयारी कर रहे हो तो कभी निराश मत होना।
आस पर विश्वास में ही श्वास हैं!
-यदि कोई इंसान सोने का चम्मच लेकर पैदा होता हैं और सारी सुविधाएँ तथा परिस्थितियाँ उसे अनुकूल मिली हों तब वह कामयाब होकर दिखाता हैं तो उसे कामयाबी काम सुकून हमेशा उस कामयाब व्यक्ति से कम नहीं रहेगा; जिसे लकङी का भी चम्मच भी नसीब नहीं हुआ हो और जिसने जीवन के हर मोड़ पर संघर्ष करके ही कामयाबी पाई हो।
हमेशा सकरात्मक ऊर्जा के साथ आगे बढे
Best of luck
प्रेम परिहार वरिष्ठ अध्यापक
मंत्री माली सैनी कर्मचारी कल्याण संस्था सोजत